पाठ योजना
कक्षा
– बारह्बीं
विषय- हिंदी
पाठ- जूझ: डायरी के पन्ने: ऐन फ्रैंक
समयावधि
–01 सितम्बर से 30 सितम्बर 2016
पाठ
का संक्षिप्त परिचय –
‘डायरी के पन्ने’ पाठ में ‘द डायरी
ऑफ ए यंग गर्ल’ नामक ऐन फ्रैंक की डायरी के कुछ अंश दिए गए हैं| ‘द डायरी ऑफ ए यंग
गर्ल’ ऐन फ्रैंक द्वारा दो साल अज्ञातवास के दरम्यान लिखी गई थी| १९३३
में फ्रैंकफर्ट के नगरनिगम चुनाव में हिटलर की नाजी पार्टी जीत गई|
तत्पश्चात यहूदी-विरोधी प्रदर्शन बढ़ने लगे | ऐन फ्रैंक का परिवार
असुरक्षित महसूस करते हुए नीदरलैंड के एम्सटर्डम शहर में जा बसा |द्वितीय
विश्वयुद्ध की शुरुआत तक(१९३९) तो सब ठीक था| परंतु १९४० में नीदरलैंड पर जर्मनी
का कब्ज़ा हो गया ओर यहूदियों के उत्पीड़न का दौर शुरु हो गया| इन परिस्थितियों के
कारण १९४२ के जुलाई मास में फ्रैंक परिवारजिसमें माता-पिता,तेरह वर्ष की ऐन
,उसकी बड़ी बहन मार्गोट तथा दूसरा परिवार –वानदान परिवार ओर उनका बेटा
पीटरतथा इनके साथ एक अन्य व्यक्ति मिस्टर डसेल दो साल तक गुप्त आवास में
रहे| गुप्त आवास में इनकी सहायता उन कर्मचारियों ने की जो कभी मिस्टर फ्रैंक के
दफ्तर में काम करते थे||‘द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल’ ऐन फ्रैंक द्वारा उस दो
साल अज्ञातवास के दरम्यान लिखी गई थी|अज्ञातवास उनके पिता मिस्टर ऑटो फ्रैंक का
दफ्तर ही था| ऐन फ्रैंक को तेरहवें जन्मदिन पर एक डायरी उपहार में मिली थी ओर
उसमें उसने अपनी एक गुड़िया-किट्टी को सम्बोधित किया है|
ऐनअज्ञातवास में पूरा दिन–
पहेलियाँ बुझाती, अंग्रेज़ी व फ्रेंच बोलती, किताबों की समीक्षा करती, राजसी
परिवारों की वंशावली देखती, सिनेमा ओर थिएटर की पत्रिका पढ़ती और उनमें से
नायक-नायिकाओं के चित्र काटतेबिताती थी| वह मिसेज वानदान की हर कहानी को बार-बार
सुनकर बोर हो जाती थी ओर मि. डसेल भी पुरानी बातें– घोड़ों की दौड़, लीक करती नावें,
चार बरस की उम्र में तैर सकने वाले बच्चे आदि सुनाते रहते|
उसने युद्ध संबंधी जानकारी भी दी है-
कैबिनेट मंत्री मि. बोल्के स्टीन ने लंदन से डच प्रसारण में यह घोषणा की
थी कि युद्ध के बाद युद्ध के दौरान लिखी गईं डायरियों का संग्रह किया जाएगा,
वायुयानों से तेज़ गोलाबारी, हज़ार गिल्डर के नोट अवैध घोषित किए गए |
हिटलर के घायल सैनिकों में हिटलर से हाथ मिलाने का जोश , अराजकता का
माहौल- कार, साईकिल की चोरी, घरों की खिड़की तोड़ कर चोरी, गलियों में लगी बिजली से
चलने वाली घड़ियाँ, सार्वजनिक टेलीफोन चोरी कर लिए गए|
ऐन फ्रैंक ने नारी स्वतंत्रता
को महत्त्व दिया,उसने नारी को एक सिपाही के बराबर सम्मान देने की बात कही| एक तेरह वर्षीय किशोरी के मन की बेचैनी
को भी व्यक्त किया- जैसे मि. डसेल की ड़ाँट-फटकार ओर उबाऊ भाषण, दूसरों की बातें
सुनकर मिसेज फ्रैंक का उसेडाँटना ओर उस पर अविश्वास करना, बड़ों के द्वारा उसके काम
ओर केशसज्जा पर टीका-टिप्पणी करना, सिनेमा की पत्रिका खरीदने पर फिज़ूलखर्ची का
आरोप लगाना, पीटर द्वारा उसके प्रेम को उजागर न करना आदि|
ऐन फ्रैंक की डायरी के द्वारा द्वितीय
विश्वयुद्ध की विभीषिका, हिटलर एवं नाजियों द्वारा यहूदियों का उत्पीड़न, डर,
भुखमरी, गरीबी, आतंक, मानवीय संवेदनाएँ, प्रेम, घृणा, तेरह साल की उम्र के सपने,
कल्पनाएँ, बाहरी दुनिया से अलग-थलग पड़ जाने की पीड़ा, मानसिक ओर शारीरिक जरूरतें,
हँसी-मज़ाक, अकेलापन आदि का जीवंत रूप देखने को मिलता है |
क्रियाकलाप
पाठ का यति गति के साथ वाचन |
गृह कार्य –
१. सिन्धु घाटी के निवासी खेती करते थे- इस कथन को सिद्ध कीजिए।
२. ’टूटे-फूटे खण्डहर सभ्यता और संस्कृति के इतिहास के साथ-साथ धड़कती
जिन्दगियों के अनछुए समयों का दस्तावेज होते हैं।’ इस कथन का
भाव स्पष्ट कीजिए।
३.आज
जल संकट एक बड़ी समस्या है| ऐसे में सिन्धु सभ्यता के महानगर मुअनजो-दड़ो की जल व्यवस्था से क्या प्रेरणा लीजा सकती है ?
भावी जल संकट से निपटने के लिए आप क्या सुझाव देंगे ?
४.मुअनजो-दड़ोके १.“काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ पाता| अफसोस, ऐसा
व्यक्ति मुझे अब तक नहीं मिला.... ”| क्या आपको लगता है किऐन के इस कथन में उसके
डायरी लेखन का कारण छुपा हुआ है ?
२. अज्ञातवास में उबाऊपन दूर करने के लिए ऐन फ्रैंक व वान परिवार क्या करते
थे ?
३. डच मंत्री कि किस घोषणा से ऐन रोमांचित हो उठी?
४. ऐन के अनुसार युद्ध में घायल सैनिक गर्व का अनुभव क्यों कर रहे थे ?
५.‘हर
कोई जानता था कि बुलावे का क्या मतलब होता है’| ऐन की डायरी के आधार पर लिखिए |
६. ‘प्रकृति ही तो एक ऐसा वरदान है, जिसका कोई सानी नहीं
है।’ऐसा क्यों कहा गया है?
शिक्षक का नाम –
पद – पी.जी.टी. हिंदी
हस्ताक्षर
प्राचार्य
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