पाठ योजना
कक्षा
– बारह्बीं
विषय- हिंदी
पाठ- बाजार-दर्शन
समयावधि
–
पाठ
का संक्षिप्त परिचय –
बाजार-दर्शन
पाठ में बाजारवाद और उपभोक्तावाद के साथ-साथ अर्थनीति एवं दर्शन से संबंधित
प्रश्नों को सुलझाने का प्रयास किया गया है। बाजार का जादू तभी असर करता है जब मन
खाली हो| बाजार के जादू को रोकने का उपाय यह है कि बाजार जाते समय मन खाली ना हो,
मन में लक्ष्य भरा हो| बाजार की असली कृतार्थता है जरूरत के वक्त काम आना| बाजार को वही मनुष्य लाभ दे सकता है
जो वास्तव में अपनी आवश्यकता के अनुसार खरीदना चाहता है| जो लोग अपने पैसों के
घमंड में अपनी पर्चेजिंग पावर को दिखाने के लिए चीजें खरीदते हैं वे बाजार को
शैतानी व्यंग्य शक्ति देते हैं| ऐसे लोग बाजारूपन और कपट बढाते हैं | पैसे की यह
व्यंग्य शक्ति व्यक्ति को अपने सगे लोगों
के प्रति भी कृतघ्न बना सकती है | साधारण जन का हृदय लालसा, ईर्ष्या और तृष्णा से
जलने लगता है | दूसरी ओर ऐसा व्यक्ति जिसके मन में लेश मात्र भी लोभ और तृष्णा
नहीं है, संचय की इच्छा नहीं है वह इस व्यंग्य-शक्ति से बचा रहता है | भगतजी ऐसे
ही आत्मबल के धनी आदर्श ग्राहक और बेचक हैं जिन पर पैसे की व्यंग्य-शक्ति का कोई असर नहीं होता |
अनेक उदाहरणों के द्वारा लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि एक ओर बाजार, लालची,
असंतोषी और खोखले मन वाले व्यक्तियों को लूटने के लिए है वहीं दूसरी ओर संतोषी मन
वालों के लिए बाजार की चमक-दमक, उसका
आकर्षण कोई महत्त्व नहीं रखता।
क्रियाकलाप
पाठ का यति गति के साथ वाचन, उपभोक्तावाद पर परिचर्चा एवं पॉवर पॉइंट
प्रस्तुति, प्रश्नोत्तरी |
गृह कार्य –
प्रश्न१ -
पर्चेजिंग पावर किसे कहा गया है, बाजार पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
प्रश्न२ -लेखक
ने बाजार का जादू किसे कहा है, इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
प्रश्न३:- भगत जी के व्यक्तित्व के सशक्त पहलुओं का उल्लेख कीजिए |
प्रश्न४ - ‘जहाँ
तृष्णा है, बटोर रखने की स्पृहा है, वहाँ उस बल का बीज नहीं है।’ यहां किस बल की चर्चा की गयी है?
प्रश्न५ - अर्थशास्त्र,
अनीतिशास्त्र कब बन जाता है?
प्रश्न६-भगतजी
बाजार और समाज को किस प्रकार सार्थकता प्रदान कर रहे हैं?
शिक्षक का नाम –
पद – पी.जी.टी. हिंदी
हस्ताक्षर
प्राचार्य
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