पाठ योजना
कक्षा
– नौवीं
विषय- हिंदी
पाठ- रीढ़ की हड्डी (एकांकी)
लेखक जगदीश चन्द्र माथुर
समयावधि
–
पाठ
का संक्षिप्त परिचय –
इस एकांकी का उद्देश्य समाज में औरतों
की दशा को सुधारना व उनको उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कराना है। यह एकांकी उन लोगों
की तरफ़ अँगुली उठाती है जो समाज में स्त्रियों को जानवरों या सामान से ज़्यादा
कुछ नहीं समझते। जिनके लिए वह घर में सजाने से ज़्यादा कुछ नहीं है। यह एकांकी औरत को
उसके व्यक्तित्व की रक्षा करने का संदेश देती है और कई सीमा तक इस उद्देश्य में
सफल भी होती है।
इस एकांकी में समाज की सड़ी-गली
मानसिकता को व्यक्त किया गया है तथा उस पर प्रहार किया है। क्योंकि रीढ़ शरीर का
मुख्य हिस्सा होता है, वही उसको सीधा रखने में मदद करता है। उसमें लचीलापन होता है, जो शरीर को
मुड़ने, बैठने, झुकने कूदने में मदद करता है। इस लचीलेपन के कारण ही शरीर हर कार्य
करने में सक्षम है। व्यायाम के माध्यम से हम रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को बनाए
रखते हैं। उसी तरह समय के अनुसार पुरानी रीतियों और परंपराओं का बदलना आवश्यक है।
यह समय की माँग होती है। जब यह रीतियाँ या परंपराएँ मनुष्य के हित के स्थान पर
उसका अहित करने लगे, तो वे विकार बन जाती हैं। यह एंकाकी समाज में व्याप्त इन विकारों
पर कटाक्ष करता है। हमारा समाज इन मानसिकताओं का गुलाम बनकर बिना रीढ़ वाला शरीर
हो जाता है। दूसरी तरफ़ यहाँ शंकर जैसे लड़कों से भी यही तात्पर्य है बिना रीढ़
का। इस प्रकार के लड़कों का अपना कोई व्यक्तित्व नहीं होता और न ही इनका कोई
चरित्र होता है। ये सारी उम्र दूसरों के इशारों पर ही चलते हैं। ये लोग समाज के
ऊपर बोझ के सिवाए कुछ नहीं होते। इसलिए उमा ने इसे बिना रीढ़ की हड्डी वाला
कहा है।
क्रियाकलाप
पाठ का यति गति के साथ वाचन, |
गृह कार्य –
शिक्षक का नाम –
पद – पी.जी.टी. हिंदी
हस्ताक्षर
प्राचार्य
Comments
Post a Comment