पाठ योजना
कक्षा
– बारह्बीं
विषय- हिंदी
पाठ- तुलसीदास
समयावधि
–
पाठ
का संक्षिप्त परिचय –
श्रीरामजी
को समर्पित ग्रन्थ श्रीरामचरितमानस उत्तर भारत मे बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। लक्ष्मण
मूर्छा और राम का विलाप
रावण
पुत्र मेघनाद द्वारा शक्ति बाण से मूर्छित हुए लक्ष्मण को देखकर राम व्याकुल हो
जाते हैं।सुषेण वैद्य ने संजीवनी बूटी लाने के लिए हनुमान को हिमालय पर्वत पर
भेजा।आधी रात व्यतीत होने पर जब हनुमान नहीं आए,तब राम ने अपने छोटेभाई लक्ष्मण को उठाकर हृदय से
लगा लिया और साधारण मनुष्य की भाँति विलाप करने लगे।राम बोले ......हे भाई !तुम मुझे कभी
दुखी नहीं देख सकते थे।तुम्हारा स्वभाव सदा से ही कोमल था।तुमने मेरे लिए माता पिता को भी छोड़ दिया और
मेरे साथ वन में सर्दी,गर्मी
और विभिन्न प्रकार की विपरीत परिस्थितियों को भी सहा|जैसे पंख बिना पक्षी,मणि बिना सर्प और सूँड बिना श्रेष्ठ हाथी अत्यंत
दीन हो जाते हैं,हे भाई!यदि मैं जीवित रहता हूँ तो मेरी दशा भी वैसी ही हो जाएगी।
मैं
अपनी पत्नी के लिए अपने प्रिय भाई को खोकर कौन सा मुँह लेकर अयोध्या जाऊँगा।इस
बदनामी को भले ही सह लेता कि राम कायर है और अपनी पत्नी को खो बैठा। स्त्री की
हानि विशेष क्षति नहीं है,परन्तु भाई को खोना अपूरणीय क्षति है।
‘रामचरितमानस’ के ‘लंका कांड’ से गृही लक्ष्मण को शक्ति बाण लगने का
प्रसंग कवि की मार्मिक स्थलों की पहचान का एक श्रेष्ठ नमूना है। भाई के
शोक में विगलित राम का विलाप धीरे-धीरे प्रलाप में बदल जाता है, जिसमें लक्ष्मण
के प्रति राम के अंतर में छिपे प्रेम के कई कोण सहसा अनावृत हो जाते
हैं।यह प्रसंग ईश्वर राम में मानव सुलभ गुणों का समन्वय कर देता है
| हनुमान का संजीवनी लेकर आ जाना करुण रस में वीर रस का उदय हो जाने
के समान है|
विनय
पत्रिका एक अन्य महत्त्वपूर्ण तुलसीदासकृत काव्य है।
कवित्त और सवैया
सार
इस
शीर्षक के अंतर्गत दो कवित्त और एक सवैया संकलित हैं। ‘कवितावली’ से अवतरित इन कवित्तों में कवि तुलसी का विविध
विषमताओं से ग्रस्त कलिकालतुलसी का युगीन यथार्थ है, जिसमें वे कृपालु प्रभु राम व रामराज्य का
स्वप्न रचते हैं। युग और उसमें अपने जीवन का न सिर्फ उन्हें गहरा बोध है, बल्कि उसकी अभिव्यक्ति में भी वे अपने समकालीन
कवियों से आगे हैं। यहाँ पाठ में प्रस्तुत ‘कवितावली’ के छंद इसके प्रमाण-स्वरूप हैं। पहले छंद ”किसवी किसान ....“ में उन्होंने दिखलाया है कि संसार के अच्छे-बुरे समस्त लीला-प्रपंचों का
आधार ‘पेट की आग’का गहन यथार्थ
है; जिसका
समाधान वे राम की भक्ति में देखते हैं।
दरिद्रजन की व्यथा दूर करने के लिए राम रूपी घनश्याम का आह्वान किया गया है। पेट
की आग बुझाने के लिए राम रूपी वर्षा का जल अनिवार्य है।इसके लिए अनैतिक
कार्य करने की आवश्यकता नहीं है।‘ इस प्रकार, उनकी राम भक्ति पेट की आग बुझाने वाली यानी जीवन
के यथार्थ संकटों का समाधान करने वाली है; न कि केवल आध्यात्मिक मुक्ति देने वाली| गरीबी
की पीड़ा रावण के समान दुखदायी हो गई है।
तीसरे
छंद (”धूत कहौ...“) में भक्ति की गहनता और सघनता में उपजे भक्तहृदय के आत्मविश्वास का सजीव
चित्रण है, जिससे समाज में व्याप्त जात-पाँत और
दुराग्रहों के तिरस्कार का साहस पैदा
होता है। इस प्रकार भक्ति की रचनात्मक भूमिका का संकेत यहाँ है, जो आज के
भेदभाव मूलक युग में अधिक
प्रासंगिक है |
क्रियाकलाप
कविता का सस्वर वाचन, भावार्थ समझना, प्रश्नोत्तरी
|
गृह कार्य –
प्रश्न१:-‘बोले
बचन मनुज अनुसारी’- का तात्पर्य क्या है ?
प्रश्न२:- राम ने लक्ष्मण के किन गुणों का वर्णन किया है?
प्रश्न३:- राम के अनुसार कौन सी वस्तुओं की हानि बड़ी हानि
नहीं है और क्यों ?
प्रश्न४:-
पंख के बिना पक्षी और सूंड के बिना हाथी
की क्या दशा होती है काव्य प्रसंग में इनका उल्लेख क्यों किया गया है ?
शिक्षक का नाम –
पद – पी.जी.टी. हिंदी
हस्ताक्षर
प्राचार्य
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