पाठ योजना
कक्षा
– बारह्बीं
विषय- हिंदी
पाठ- बादल राग
समयावधि
–
पाठ
का संक्षिप्त परिचय –
निराला की यह कविता उनके
काव्य-संग्रह ‘परिमल’ से उद्धृत है। इस कविता में बादल क्रांति या विप्लव का
प्रतीक है। कवि विप्लव के बादल को संबोधित करते हुए कहता है कि जन-मन की
आकांक्षाओं से भरी तेरी नाव समीर रूपी सागर पर तैर रही है। अस्थिर सुख पर दुःख की
छाया तैरती दिखाई देती है। संसार के लोगों के हृदय दग्ध (दुःखी)हैं। उन पर निर्दयी
विप्लव अर्थात् क्रांति की माया फैली हुई है। बादलों के गर्जन से पृथ्वी के गर्भ
में सोए अंकुर बाहर निकल आते हैं अर्थात शोषित वर्ग सावधान हो जाता है और आशा भरी
दृष्टि से क्रांति की ओर देखने लगता है। उनकी आशा क्रांति पर ही टिकी है। बादलों
की गर्जना और मूसलाधार वर्षा में बड़े-बड़े घबरा जाते हैं। क्राति की हुंकार से
पूँजीपति घबरा उठते हैं, वे दिल थाम
कर रह जाते हैं। क्रांति को तो छोटे-छोटे लोग बुलाते हैं। जिस प्रकार छोटे-छोटे
पौधे हाथ हिलाकर बादलों के आगमन का स्वागत करते हैं वैसे ही शोषित वर्ग क्रांति के
आगमन का स्वागत करता है।
क्रियाकलाप
कविता का सस्वर वाचन, भावार्थ समझना, प्रश्नोत्तरी
|
गृह कार्य –
शिक्षक का नाम –
पद –
हस्ताक्षर
प्राचार्य
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