पाठ योजना
कक्षा
– बारह्बीं
विषय- हिंदी
पाठ- शिरीष के फूल (आचार्य
हजारी प्रसाद द्विवेदी)
समयावधि
–
पाठ
का संक्षिप्त परिचय –
–‘आचार्य
हजारी प्रसाद द्विवेदी’ शिरीष को अद्भुत अवधूत मानते हैं, क्योंकि संन्यासी की
भाँति वह सुख-दुख की चिंता नहीं करता। गर्मी, लू, वर्षा और आँधी में भी अविचल खड़ा
रहता है। शिरीष के फ़ूल के माध्यम से मनुष्य की अजेय जिजीविषा, धैर्यशीलता और
कर्तव्यनिष्ठ बने रहने के मानवीय मूल्यों को स्थापित किया गया है।लेखक ने शिरीष के
कोमल फूलों और कठोर फलों के द्वारा स्पष्ट किया है कि हृदय की कोमलता बचाने के लिए
कभी-कभी व्यवहार की कठोरता भी आवश्यक हो जाती है| महान कवि कालिदास और कबीर भी
शिरीष की तरह बेपरवाह, अनासक्त और सरस थे तभी उन्होंने इतनी सुन्दर रचनाएँ संसार
को दीं| गाँधीजी के व्यक्तित्व में भी
कोमलता और कठोरता का अद्भुत संगम था | लेखक सोचता है कि हमारे देश में जो मार-काट, अग्निदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर
का बवंडर है, क्या वह देश को स्थिर नहीं रहने देगा? गुलामी,
अशांति और विरोधी वातावरण के बीच अपने सिद्धांतों की रक्षा करते हुए गाँधीजी जी
स्थिर रह सके थे तो देश भी रह सकता है। जीने की प्रबल अभिलाषा के कारण विषम
परिस्थितयों मे भी यदि शिरीष खिल सकता है तो हमारा देश भी विषम परिस्थितियों में
स्थिर रह कर विकास कर सकता है।
क्रियाकलाप
पाठ का यति गति के साथ वाचन, प्रश्नोत्तरी
|
गृह कार्य –
प्रश्न1-सिद्ध
कीजिए कि शिरीष कालजयी अवधूत की भाँति जीवन की अजेयता के मंत्र का प्रचार करता है
?
प्रश्न२-आरग्वध
(अमलतास) की तुलना शिरीष से क्यों नहीं की
जा सकती ?
प्रश्न३-शिरीष
के फलों को राजनेताओं का रूपक क्यों दिया
गया है?
प्रश्न४- काल
देवता की मार से बचने का क्या उपाय बताया गया है?
प्रश्न५-
गाँधीजी और शिरीष की समानता प्रकट कीजिए |
शिक्षक का नाम –
पद – पी.जी.टी. हिंदी
हस्ताक्षर
प्राचार्य
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