इकाई
पाठ –
योजना
· कक्षा – बारहवीं
· पुस्तक
– आरोह (भाग-१२)
· विषय-वस्तु
– कविता
·
प्रकरण – ‘ पतंग ’
शिक्षण- उद्देश्य :-
1. ज्ञानात्मक –
1. प्राकृतिक
सौंदर्य,
मानवीय राग और बच्चों के बाल सुलभ प्रकृति से परिचित कराना।
2. कविता
का रसास्वादन करना।
3. कविता
की विशेषताओं की सूची बनाना।
4. कविता
की विषयवस्तु को पूर्व में सुनी या पढ़ी हुई कविता से संबद्ध करना।
5. अलंकारों
के प्रयोग के बारे में जानकारी देना।
6. नए
शब्दों के अर्थ समझकर अपने शब्द- भंडार में वृद्धि करना।
7. साहित्य
के पद्य –विधा (कविता) की जानकारी देना।
8. छात्रों
को कवि एवं उनके साहित्यिक जीवन के बारे में जानकारी देना।
2. कौशलात्मक -
1. स्वयं
कविता लिखने की योग्यता का विकास करना।
2. प्रकृति
से संबंधित कविताओं की तुलना अन्य कविताओं से करना।
3. बच्चों
के स्वभाव की तुलना करना।
3. बोधात्मक
–
1. प्राकृतिक
सौंदर्य एवं बच्चों के व्यवहार पर प्रकाश डालना।
2. रचनाकार
के उद्देश्य को स्पष्ट करना।
3. कविता
में वर्णित भावों को हॄदयंगम करना।
4. प्रकृति
तथा बच्चों के प्रति आसक्ति –भाव जागृत करना।
4. प्रयोगात्मक
–
1. कविता
के भाव को अपने दैनिक जीवन के व्यवहार के संदर्भ में जोड़कर देखना।
2. इस
कविता की तुलना अन्य कवियों की रचनाओं से करना ।
3. कविता
का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखना।
सहायक शिक्षण – सामग्री:-
1. चाक , डस्टर आदि।
2. पावर
प्वाइंट के द्वारा पाठ की प्रस्तुति।
पूर्व ज्ञान:-
1. कविता - रचना के बारे में ज्ञान है।
2. अलंकार
का प्रारंभिक ज्ञान है।
3. प्रकृति
के विभिन्न उपादानों की महत्ता से अवगत हैं।
4. साहित्यिक-लेख की थोड़ी-बहुत जानकारी है।
5. सामाजिक
व्यवहार से वाक़िफ़ हैं।
6. ग्रामीण
जीवन से परिचित हैं।
7. मानवीय
स्वभाव एवं बच्चों के व्यवहार की जानकारी है।
प्रस्तावना – प्रश्न :-
1. बच्चो! क्या आपने प्रकृति एवं बाल सुलभ प्रकृति से संबंधित कविता पढ़ी है?
2. क्या
आपने ‘सर्वेश्वर दयाल सक्सेना’ की कोई रचना पढ़ी है?
3. दूसरों
बच्चों के प्रति आप अपना व्यवहार किस तरह प्रकट करते हैं?
4. पतंगों
का हमारे जीवन में क्या स्थान है?
उद्देश्य
कथन
:-
बच्चो! आज हम कवि ‘आलोक
धन्वा ’ के द्वारा रचित प्रकृति एवं बाल सुलभ प्रकृति से
संबंधित कविता‘ पतंग ’ का अध्ययन करेंगे।
पाठ
की इकाइयाँ—
प्रथम
अन्विति— (सबसे तेज़ बौछारें गईं..................................कि पतंग ऊपर उठ
सके।)
· शरद
ऋतु का वर्णन।
· प्रकृति
की शोभा का वर्णन।
· बच्चों
का स्वभाव।
द्वितीय
अन्विति
:- (दुनिया की सबसे रंगीन..............................मृदंग की तरह बजाते
हुए)
· पतंगों
की विशेषताएँ।
· बच्चों
का पतंग उड़ाने के लिए छत पर बेसुध होकर दौड़ना।
तृतीय
अन्विति
:- (jaba ve जब वे पेंग भरते हुए..............................उनके बचैन
पैरों के पास)
· ख़तरनाक
छत के किनारे तक बच्चे पतंग उड़ाते हुए आते हैं। पतंग की डोर और उनके शरीर का
रोमांचक संगीत उन्हें गिरने से बचाता है।
· पतंग
के साथ मानो वे भी उड़ते हैं।
· और
जब गिरकर बच जाते हैं तो उनमें साहस और बढ़ जाता है। फिर और भी तेज गति से भागते
हैं मानो धरती ही उनके बेचैन पैरों के पास अपने आप आ जाती है।
शिक्षण
विधि
:-
क्रमांक
|
अध्यापक - क्रिया
|
छात्र - क्रिया
|
१.
|
कविता का
केन्द्रीय भाव
:- पाठ्यपुस्तक
में ली गई कविता पतंग आलोक धन्वा के एकमात्र संग्रह का हिस्सा है। यह एक लंबी कविता
है जिसके तीसरे भाग को पाठ्यपुस्तक में शामिल किया गया है। पतंग के बहाने इस कविता
में बालसुलभ इच्छाओं और उमंगों का सुंदर चित्रण किया गया है। बाल क्रियाकलापों एवं
प्रकृति में आए परिवर्तन को अभिव्यक्त करने के लिए सुंदर बिंबों का उपयोग किया गया
है। पतंग बच्चों की उमंगों का रंग-बिरंगा सपना है। आसमान में उड़ती हुई पतंग ऊँचाइयों
की वे हदें हैं, बालमन जिन्हें छूना चाहता है और उसके पार जाना चाहता है।
कविता
धीरे-धीरे बिंबों की एक ऐसी दुनिया में ले जाती हैं जहाँ शरद ऋतु का चमकीला इशारा
है, जहाँ तितलियों की रंगीन दुनिया है, दिशाओं के मृदंग बजते हैं। जहाँ छतों के ख़तरनाक
किनारों से गिरने का भय है तो दूसरी ओर भय पर विजय पाते बच्चे हैं जो गिर-गिरकर सँभलते
हैं और पृथ्वी का हर कोना ख़ुद-ब-ख़ुद उनके पास आ जाता है। वे हर बार नयी-नयी पतंगों
को सबसे ऊँचा उड़ाने का हौसला लिए फिर-फिर भादो (अँधेरे) के बाद के शरद ( उजाला) की
प्रतीक्षा कर रहे हैं। क्या भी उनके साथ हैं ?
|
कविता
को ध्यानपूर्वक पढ़्ना और सुनना तथा समझने का प्रयत्न करना। साथ ही अपनी शंकाओं
तथा जिज्ञासाओं का निराकरण करना।
|
२.
|
कवि-परिचय :- आलोक धन्वा
जन्म : सन् १९४८ ई. मुंगेर (बिहार)
प्रमुख रचनाएँ : पहली कविता जनता का आदमी, १९७२ में प्रकाशित
उसके बाद भागी हुई लड़कियाँ, ब्रूनो की बेटियाँ से प्रसिद्धि, दुनिया रोज़ बनती है
(एकमात्र संग्रह)
प्रमुख सम्मान : राहुल सम्मान, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्
का साहित्य सम्मान, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, पहल सम्मान।
काव्य संग्रह के अलावा वे पिछले दो दशकों से देश के विभिन्न
हिस्सों में सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने
जमशेदपुर में अध्ययन-मंडलियों का संचालन किया और रंगमंच तथा साहित्य पर कई राष्ट्रीय संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों
में अतिथि व्याख्याता के रूप में भागीदारी की है।
|
कवि
के बारे में आवश्यक जानकारियाँ अपनी अभ्यास –पुस्तिका में लिखना।
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३.
|
शिक्षक
के द्वारा पाठ का उच्च स्वर में पठन करना।
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उच्चारण
एवं पठन –
शैली को ध्यान से सुनना।
|
४.
|
कविता
के पदों की व्याख्या करना।
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कविता
को हॄदयंगम करने की क्षमता को विकसित करने के लिए कविता को ध्यान से सुनना।
कविता से संबधित अपनी जिज्ञासाओं का निराकरण करना।
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५.
|
कठिन
शब्दों के अर्थ
:-
रंध्र
–
छिद्र
महज़
–
केवल
बौछारें
–
वर्षा की फुहारें
झुंड
–
दल, समूह
किलकारियों
– बच्चों का आनंदित होकर चिल्लाना
नाज़ुक
– कोमल
मृदंग
– एक प्रकार का वाद्ययंत्र
|
छात्रों
द्वारा शब्दों के अर्थ अपनी अभ्यास-पुस्तिका में लिखना।
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६.
|
छात्रों
द्वारा पठित पदों में होने वाले उच्चारण संबधी अशुद्धियों को दूर करना।
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छात्रों
द्वारा पठन।
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७.
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कविता
में आए बिंबों का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना।
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साहित्य
के इन अंगों के उदाहरण अभ्यास-पुस्तिका में लिखना।
|
गृह – कार्य
:-
१. शरद ऋतु वर्णन
की अन्य कविताओं का संग्रह कीजिए।
२. आपके जीवन में शरद ऋतु क्या मायने रखती है ?
३. आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों को देखकर आपके मन में
कैसे ख़याल आते हैं ? लिखिए।
परियोजना
कार्य
:-
1. आलोक
धन्वा की कविताओं का संग्रह करना।
2. प्रकॄति
या मानवीय राग और अनुराग से संबंधित एक कविता लिखना।
3. अन्य
कविओं की पतंग पर लिखी कविताओं का संग्रह कीजिए।
मूल्यांकन :-
निम्न
विधियों से मूल्यांकन किया जाएगा :-
1. पाठ्य-पुस्तक के बोधात्मक प्रश्न—
Ø सबसे
तेज़ बौछारेंगईं, भादो गया के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि दिखाया है, उसका
वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।।
Ø जन्म
से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास – कपास के बारे में सोचें और बताएँ कि कपास से
बच्चों का क्या संबंध बन सकता है ?
Ø पतंगों
के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं – बच्चों का उड़ान से क्या संबंध बनता है ?
Ø सोचकर
बताएँ कि पतंग के लिए सबसे हल्की और रंगीन चीज़, सब्से पतला कागज़, सब्से पतली कमानी
जैसे विशेषणों का प्रयोग क्यों किया गया है ?
2. इकाई
परीक्षाएँ
3. गृह – कार्य
- परियोजना – कार्य
शिक्षक के हस्ताक्षर प्राचार्य
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